Lएक राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके सब दाँत गिर गए हैं। प्रातः उसने दरबार में अपने एक सभासद से पूछा कि,- इस स्वप्न का क्या फल होना चाहिए ?_*
*_सभासद ने उत्तर दिया- "सरकार, इस स्वप्न का फल यह होगा कि आपके समस्त परिजन आपके जीवन काल में ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेंगे !!"_*
*_राजा ने उसका सिर धड़ से अलग कर देने का आदेश दे दिया। तदुपरांत उसने वही प्रश्न एक अन्य सभासद से किया।_*
*_उस सभासद ने कहा कि, "सरकार आप अपने समस्त परिजन की अपेक्षा दीर्घजीवी होंगे। उसने अत्यन्त विनम्रतापूर्वक यह उत्तर दिया।"_*
*_राजा उसके उत्तर से बड़े आल्हादित हुए और उसको भारी ईनाम दिया !!_*
*_दोनों सभासदों का मन्तव्य एक ही था परन्तु,- उसको प्रस्तुत करने का ढंग भिन्न था। एक में कटुता थी और दूसरे में मधुरता थी। उसके परिणाम भी कटु व मधुर रहे।_*
*_इसीलिए कहते हैं कि वाणी का उपयोग इस प्रकार करो कि सुनने वाले को बुरा न लगे, उसे किसी प्रकार का दुःख न पहुँचे।_*
*_अनुकूल वाणी मित्रों की सृष्टि करती है और प्रतिकूल वाणी अकारण शत्रु तैयार करती है।_*
*_इन दोहों में वाणी की महत्ता को रेखांकित किया गया है:--_*
*_कागा किसका धन हरे,_*
*_कोयल क्या कुछ देत।_*
*_मीठे वचन सुनाय के,_*
*_जग अपनो कर लेत।।_*
*_ऐसी वाणी बोलिये,_*
*_मन का आपा खोय।_*
*_औरन को शीतल करे,_*
_*आपहुं शीतल होय।।*_
*_बोली एक अनमोल है,_*
*_जो कोई बोलै जानि।_*
*_हिये तराजू तौलि के,_*
*_तब मुख बाहर आनि।।_*
_*मीठे वचन सुहावते,*_
*_और कड़वे करे आघात।_*
*_मांगीलाल मीठा कहे,_*
*_बिगड़े काम बन जात।।_*
*_संकलन ऐसा कीजिये,_*
*_हो हर शब्द अनमोल।_*
*_कड़वे शब्द पीड़ा करे,_*
*_अरु मीठे मिश्री घोल।।_*
*_कटु सत्य कड़वे लगे,_*
*_पर कहने का हो ढंग।_*
*_सत्य शूल सम नहीं चुभे_*
*_जब मीठे बोल हो संग।।_*
_*अतः हम सबको जीवन में सदा मधुरवाणी का ही प्रयोग करना चाहिए !!*_
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