प्रश्नः- क्या , आत्मा अपना ही शत्रु, अपना ही मित्र है, सच्ची मित्रता क्या है?
उत्तर:-
1. एक बाप की श्रीमत पर सदा चलते रहना - यही सच्ची मित्रता है।
2. सच्ची मित्रता है एक बाप को याद कर पावन बनना और बाप से पूरा वर्सा लेना। यह मित्रता करने की युक्ति बाप ही बतलाते हैं।
3. संगमयुग पर ही आत्मा अपना मित्र बनती है।
4. बाप के साथ ऐसा योग रखना है जो आत्मा की लाइट बढ़ती जाए। कोई भी विकर्म कर लाइट कम नहीं करना है। अपने साथ मित्रता करनी है।
उत्तर:-
1. एक बाप की श्रीमत पर सदा चलते रहना - यही सच्ची मित्रता है।
2. सच्ची मित्रता है एक बाप को याद कर पावन बनना और बाप से पूरा वर्सा लेना। यह मित्रता करने की युक्ति बाप ही बतलाते हैं।
3. संगमयुग पर ही आत्मा अपना मित्र बनती है।
4. बाप के साथ ऐसा योग रखना है जो आत्मा की लाइट बढ़ती जाए। कोई भी विकर्म कर लाइट कम नहीं करना है। अपने साथ मित्रता करनी है।
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